मनहूस कोठी भाग - 3




कहानी _ मनहूस कोठी

भाग _ 3 

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

तीनो औरते चक्कर खाकर गिर पड़ी ।इतना दहसत भरा दृश्य उनसे देखा नही गया।
तभी उस खूंखार और डरवाने प्रेत ने भयानक अट्टहास लगाते हुए कहा _ इस कोठी में कोई नही बचेगा । न kli प्रेत और न कोई मनुष्य ।मैं सबको मार डालूंगा ।
उसकी अट्टहास पूरी कोठी में गूंज रही थी ।इतनी भयानक आवाज थी की सबकी रूह तक कांप जा रही थी।
उसने अपनी तलवार उठाई और उन तीनों प्रेतो की तरफ लपका वे तीनों वहा से गायब हो गई।वो प्रेत भी गायब हो गया ।
राम जी ने अपनी पत्नी मूर्छित पड़ी पत्नी प्रभा को उठाते हुए अपने दोनो बेटो से कहा _ तुम लोग भी बहुओं को उठाओ और अपने कमरे में चलो।हालांकि तीनों बाप बेटा की हालत भी बहुत खराब थी ।भय से उनका हल्क सुखा जा रहा था।
किसी तरह सबने अपनी अपनी पत्नियों को उठाया और अपने बच्चो को संभाला जो गहरी नींद में सो रहे थे और अपनें अपने कमरे में जाने लगे ।
कुछ ही आगे गए होंगे की अचानक बिजली चली गई ।
हे भगवान इतनी भयवाह कोठी में ये बिजली कैसे चली गई राम जी ने डरते हुए कहा ।
बड़े बेटे ने कहा _ पापा चिंता मत करे मैं अभी जेनेटर चालू करता हूं ।इसलिए तो उसे मंगाया था ।
लेकिन इतने डरावने माहौल में घुप अंधेरे में हम सब अपने कमरे में कैसे जाए।छोटे भाई ने कहा ।
मोबाइल भी अपने कमरे में छोड़ आए हैं।उसने कहा ।
तभी तीनो ने अपने हाथो में किसी के हाथो का स्पर्श महसूस किया ।तीनो भय से चिल्ला उठे लेकिन इससे पहले वे तीनों कुछ समझ पाते कोई उन्हे खींचता हुआ उनके कमरे में पहुंचा दिया । तीनो ने राहत की सांस लिया ।
लेकिन उनकी समझ में नही आया की आखिर किसने इतने अंधेरे में उनकी मदद किया ।कही वही तीनों प्रेतनिया तो नही थी यह सोचते ही तीनों के रोंगटे खड़े हो गए।
यह कैसा खेल चल रहा है यहां। हम लोग कहा आकर फंस गए हैं। तीनो बाप बेटे अपने अपने कमरे में सोच रहे थे।
बड़े लड़के दिव्यांश ने अपनी पत्नी को बिस्तर पर किसी तरह लिटाया और अंदाज से अपनी मोबाइल ढूंढ कर निकाला इसका लाइट ऑन किया और अपनी को उसी हालत में छोड़ अपने छोटे भाई के कमरे की तरफ लपका और उससे कहा _ छोटे अपनी पत्नी को उठाकर मेरे कमरे में ले जाओ और तुम भी वही रहो।
मैं जेनेटर चालू कर के आता हूं।
इतना कहकर वो जल्दीबाजी में वहा से निकल गया ।
इतनी डरावनी कोठी में उसे अकेले बहुत डर लग रहा था लेकिन इसके अलावा कोई उपाय भी नही था।
थोड़ी ही दूर पहुंचा होगा की सामने से अंधेरे दो बड़ी बड़ी खूंखार आंखे जैसे शोला की तरह दहक रही थी उसे घूर रही थी।
ओ आंखे इतनी भयानक और डरवानी थी की दिव्यांश की हड्डियां तक कांप गई ।भय से उसका गला सूखने लगा था।उसका पैर जहा था वही जम गया था ।अब वो न तो आगे बढ़ पा रहा था न पीछे भाग पा रहा था ।
तभी वो आंखे धीरे धीरे उसके करीब आने लगी ।भय से वो चीखना चाहता था लेकिन उसका गला ही मानो बैठ गया हो ।उसे लगा अब तो वो आंखे उसे जलाकर राख कर देंगी या निगल जाएंगी।अब तो उसकी मौत निश्चित है।उसने खौफ से अपनी आंखे बंद कर लिया।
तभी किसी जवान लड़की का हाथ अपने हाथो पर महसूस किया ।बड़ी फुर्ती से वो उसे उन आग उगलती हुई भयानक और डरावनी आंखो से दूर खिंचती हुई चली गई।
वो ठीक सामने जेनेटर के साथ खड़ा था ।उसने थोड़ी राहत की सांस लिया।अपने मोबाइल के टार्च की रोशनी में उसने जेनेटर को स्टार्ट कर दिया ।उसके चालू होते ही पूरी कोठी रोशनी से भर जगमगा उठी ।
वो बहुत खुश हुआ ।अब वो बिजली जाने का कारण जानने के लिए मेन स्विच की तरफ जाने लगा लेकिन उसे लगा जैसे उसके पीछे कोई आ रहा है ।उसने पीछे मुड़कर देखा कोई नही दिखा ।वो आगे बढ़ने लगा मन में भय हो रहा था पता नही कौन है पीछे । पायल को छम छम सुनकर वो चौंक पर फिर पीछे मुड़ा _ पीछे देखकर उसकी आंखे फटी की फटी रह गई ।उसके सामने वही सुंदर और जवान लड़की खड़ी थी जिसे उसने बरामदे में देखा ।लेकिन इस बार वो ओ पहले से भी ज्यादा सुंदर दिख रही थी ।उसने काफी श्रृंगार किया हुआ था ।बिल्कुल स्वर्ग की अपसरा लग रही थी ।वो अपलक उसे देखता ही रह गया ।तो क्या इसी ने मुझे उस खूंखार आंखो से बचाया था ।अगर यह भी प्रेतनी है तो हमारी सहायता क्यों कर रही है ।यह क्या माजरा है ।वो उसे देखकर मुस्कुरा रही थी ।सामान्य अवस्था में कोई भी उस लड़की पर मोहित हो जाता लेकिन इतने डरावने माहौल में एक सुंदर लड़की वही भी जो प्रेतनी हो कहा से आसक्ति होगी।वो वहा से भागने को हुआ तभी वो लड़की खिलखिलाकर हसने लगी और बोली _ बड़े डरपोक लड़के हो । डरो नही मैं तुम्हारा कुछ नही बिगाडूंगी। आओ मेरे पीछे पीछे इतना कहकर वो मेन स्विच की तरफ बढ़ गई । डर या मजबूरी वस वो उसके पीछे पीछे चलने लगा।इस लड़की चाल देखकर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ प्रेत योनि में भी उसकी चाल किसी मॉडल से कम नही थी मगर उसने अपना ध्यान हटा लिया । वो लड़की वहा पहुंचकर रुक गई।उसने देखा उस लड़की ने अपने हाथ के इशारे से दिखाया मेन स्विच ऑफ किया हुआ था।दिव्यांश ने जैसे ही उसे ऑन करने का प्रयास किया तभी वो खूंखार दैत्य वहा आ गया उसे देखते ही वो लड़की गायब हो गई ।दिव्यांश भय बर्दास्त नही कर सका और बेहोश होकर गिर पड़ा ।
काफी देर होने की वजह से उसका छोटा भाई रमन अपने पिता के कमरे में गया ।उसकी मां और पिता बैठे हुए थे ।रमन ने कहा _ पापा भईया काफी देर से जेनेटर चालू करने गए थे ।वो तो चालू हो गया देखिए लाइट आ गई लेकिन भैया अभी तक नही आए।
आप मां को भईया के कमरे में ले चलिए वहा भाभी और मेरी पत्नी भी है।आइए हम दोनो भईया को ढूंढते है ।मुझे बहुत भय लग रहा है। भगवान करे भईया ठीक ठाक हो ।
तभी बिस्तर पर किसी ने दिव्यांश की बेहोसी की हालत में लेटा दिया ।
सब लोग चौंक कर उछल पड़े ।अरे क्या हो गया इसे और किसने इसे यहां पहुंचाया ।
वहा हर पल कोई न कोई अजीब और डरावानी घटना घट रही थी ।तभी दरवाजे से किसी लड़की के पायल छमकाते हुए जाने की आवाज सुनाई दी।
सबकी फिर जान अटक गई ।
राम जी ने कहा _ रमन तुम अपनी पत्नी और भाभी को बच्चो सहित यही ले आओ आज रात हमलोग एक साथ ही गुजारेंगे । जो भी होगा सब साथ साथ झलेंगे ।
सबके आने के बाद राम जी ने पानी का छींटा दिव्यांश के चेहरे पर मारा उसने तुरंत अपनी आंखे खोल दिया।
अपने पिता के पूछने पर उसने सारी बात बताई ।सुनकर सबके रोंगटे खड़े हो गए।
प्रभा ने कहा _ भगवान करे आज की रात किसी तरह कट जाए फिर कल इस कोठी को छोड़ देंगे।
दिव्यांश ने कहा _ मां ठीक कह रही है।रात अभी गुजरी भी नही है और इतनी घटना घट गई पता नही बाकी राते कैसे बितेंगी और हमारा क्या होगा।

शेष _ अगले भाग_ 4 में

लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मो.9955509286




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3 Comments

Punam verma

06-Nov-2023 08:16 AM

Very nice👍

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Reena yadav

01-Nov-2023 07:53 PM

👍👍

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Mohammed urooj khan

01-Nov-2023 01:01 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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